पौष अमावस्या 2024 — महत्व, तिथि, व्रत कथा और विशेष पूजा

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5 min readJan 9, 2024

2024 की पहला अमावस्या है पौष अमावस्या। हर माह में एक बार अमावस्या तिथि पड़ती है। हिंदू धर्म में अमावस्या का बहुत अधिक महत्व होता है। पौष माह के कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि को पौष अमावस्या कहते हैं।पौष मास में ही धनु संक्रांति आती है और सूर्य के धनु राशि में प्रवेश करने पर खरमास शुरू होता है।इस मास में शुभ और मांगलिक कार्य वर्जित होते हैं इसलिए इस मास में पितरों के पूजा-पाठ और धार्मिक कार्य करने का विधान है।ऐसी मान्यता है कि अमावस्या की काली रात में मां काली विचरण करने निकलती है और उनकी आराधना में रत भक्तों की मनोकामना पूरी करती हैं।इस तिथि पर पवित्र नदियों में स्नान का विशेष महत्व है। नदी में स्नान के बाद सूर्या को अर्घ्य देकर पितरों का तर्पण किया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अमावस्या के दिन महिलाए पति की लंबी आयु की कामना के लिए व्रत रखती है।

पौष अमावस्या तिथि और शुभ मुहूर्त
पौष अमावस्या इस साल ११ जनवरी 2024 को मनाई जाएगी।10 जनवरी को रात्रि 08.10 मिनट पर शुरू होगी। जो 11 जनवरी को शाम 05.26 मिनट पर समाप्ती होगी।

पौष अमावस्या का महत्व

हिंदू पंचांग के अनुसार, पौष मास दसवां महीना है जिसे देवताओं की पूजा करने और मृत पूर्वजों के लिए अनुष्ठान करने के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।पौष मास को सौभाग्य लक्ष्मी मास के नाम से भी जाना जाता है।हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, यह माना जाता है कि पौष अमावस्या की पूर्व संध्या पर देवी लक्ष्मी के दो रूपों धन लक्ष्मी और धन्या लक्ष्मी की पूजा करना शुभ होता है।

पौष अमावस्या व्रत कथा

कथा के अनुसार एक गरीब ब्राह्मण की सुंदर, गुणवान और संस्कारी बेटी थी. लेकिन उसका विवाह नहीं हो पा रहा था. एक दिन गरीब ब्राह्मण के घर पर एक साधु आए और उनकी सेवा से प्रसन्न होकर आशीर्वाद दिया. फिर उन साधुओं ने उस कन्या को विवाह के लिए उपाय बताते हुए कहा कि यहां से कुछ दूरी पर एक परिवार रहता है. यदि यह रोज जाकर उसकी पत्नी की सेवा करे तो इसके विवाह में आ रही अड़चन दूर हो जाएगी. अगले दिन सुबह उठकर कन्या उनके घर जाकर साफ सफाई कर अपने घर वापस लौटती है. उस घर में रहने वाली स्त्री यह देखकर हैरान हो जाती कि कौन उसके जागने से पहले घर सफाई करके चला जाता है.
कुछ दिन बाद स्त्री ने ब्राम्हण की पुत्री को ऐसा करते हुए देख लिया और पूछने लगी कि आप कौन हैं, तब कन्या ने उसे साधु द्वारा बताई गई सारी बातें बताई. उस स्त्री ने कन्या की सच्चाई और सेवा से खुश होकर अपनी माँग का सिंदूर कन्या की माँग माँ लगा दिया और उसे शीघ्र विवाह होने का आशीर्वाद दिया। लेकिन जैसे ही उन्होंने कन्या को आशीर्वाद उनके पति की मृत्यु हो गई. फिर भी उसने हार नहीं मानी और आंगन में लगे हुए पीपल के पेड़ की 108 परिक्रमा करके भगवान विष्णु से अपने पति का जीवन लौटाने की प्रार्थना की. उस दिन पौष अमावस्या थी. भगवान की कृपा से उसका पति फिर से जीवित हो गया. ऐसी मान्यता है कि जो व्यक्ति इस पौष अमावस्या के दिन स्न्नान-दान करके पीपल की परिक्रमा करता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

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पौष अमावस्या पर पितृ दोष से मुक्ति

1.इस दिन नदी स्नान के बाद तिल तर्पण करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है।
2.स्नान के बाद तांबे के पात्र में जल लेकर लाल पुष्प, लाल चंदन डालकर सूर्यदेव को अर्घ्य देना बहुत ही उत्तम माना जाता है।
3.जो व्यक्ति पौष अमावस्या के दिन पवित्र नदियों, सरोवर तट पर स्नान करके पूजन करते हैं, उन्हें अमोघ फल की प्राप्ति होती है।
4.अमावस्या के दिन पीपल वृक्ष का पूजन तथा तुलसी के पौधे की परिक्रमा करने से श्री विष्णु प्रसन्न होते हैं।
5.अमावस्या के दिन दान करने का बहुत महत्व माना गया है, इससे पितरों को मोक्ष मिलता है। अत: इस दिन गरीब तथा असहाय लोगों को दान करना ना भूलें।
6.मान्यतानुसार पितृ दोष से पीड़ित व्यक्ति को पौष मास की अमावस्या पर पितरों की मोक्ष प्राप्ति के लिए व्रत रख कर दान-पुण्य कारना चाहिए।
7.पौष अमावस्या के दिन गरीब या असहाय लोगों को भोजन कराने से भाग्य खुलता है।
8.इसके अलावा अमावस्या के दिन पितृ दोष तथा कालसर्प दोष से मुक्ति के लिए उपाय एवं व्रत-उपवास किए जाते हैं।
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पूजा विधि-

१) सुबह जल्दी उठकर स्नान करे । इस दिन पवित्र नदी या सरोवर में स्नान करने का महत्व बहुत अधिक होता है। आप घर में ही नहाने के पानी में गंगा जल मिलाकर भी स्नान कर सकते है।
२)स्नान करने के बाद घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करे।
३)सूर्या देव को अर्घ्य दे।
४)अगर आप उपवास रख सकते है तो इस दिन उपवास भी रखे।
५)इस दिन पितृ संबंधित कार्य भी करने चाहिए।
६)इस पावन दिन भगवान का अधिक से अधिक ध्यान करे।
७)इस दिन विधि विधान से भगवान शंकर की पूजा अर्चना भी करे।

पौष अमावस्या पर क्या नहीं करना चाहिए

१) नया काम शुरू न करें
२) तुलसी-बेलपत्र न तोड़ें
३)दूसरों के घर भोजन न करें
४)बुजुर्गों का अनादर न करें
५) सुनसान जगह न जाएं
६)ब्रह्मचर्य का पालन है जरूरी

पौष अमावस्या पर मंत्रों का जाप

* ॐ श्रां श्रीं श्रौं स: चन्द्रमसे नम:।
* ॐ ऐं क्लीं सोमाय नम:।
* ॐ श्रीं श्रीं चन्द्रमसे नम:।
* चंद्र देव गायत्री मंत्र- ॐ भूर्भुव: स्व: अमृतांगाय विदमहे कलारूपाय धीमहि तन्नो सोमो प्रचोदयात्।
* चंद्र देव बीज मंत्र- ॐ श्रां श्रीं श्रौं स: चंद्राय नम:।
इन मंत्रों का जाप पौष अमावस्या पर करने से जीवन में आशीर्वाद और समृद्धि आती है और सुख शांति की प्राप्ति होती है।

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