वसंत पंचमी 2024 तिथि, पूजा विधि, माता सरस्वती के पूजन का महत्व

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7 min readFeb 14, 2024

वसंत पंचमी, हिन्दू पंचांग में वसंत ऋतु के आगमन का सूचक है और यह हर साल माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाई जाती है। हमारे सनातन धर्म में वसंत पंचमी पर्व का बहुत महात्म्य है| इस दिन विद्या और ज्ञान की देवी माँ सरस्वती का अवतरण हुआ था। लेकिन शायद कुछ ही लोग ये जानते होंगे की इस दिन माँ सरस्वती के साथ-साथ माँ लक्ष्मी की पूजा अर्चना करने का भी विधान है। इसलिए इसे श्री पंचमी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन पीले वस्त्र धारण करने की प्रथा है।

पृथ्वी पर भारत की भौगोलिक स्थिति के अनुसार, हमारे देश का मौसम छह निम्लिखित ऋतुओं में समाहित किया जा सकता है:
1. ग्रीष्म ऋतु
2. वर्षा ऋतु
3. शरद ऋतु
4. हेमन्त ऋतु
5. शिशिर ऋतु
6. बसंत ऋतु

इन सब ऋतुओं में वसंत ऋतु लोगों का सबसे मनचाहा मौसम है — जब फूलों में बहार आ जाती है, हर तरफ रंग-बिरंगी तितलियाँ मंडराने लगती हैं। भंवरे फूलों का रस पीकर मद-मस्त हो जाते हैं और गुनगुनाने लगते हैं। मंद-मंद शीतल बयार चलने लगती हैं, लहलहाते खेतों में सरसों के फूल सोने की तरह चमकने लगते हैं, आम के पेड़ों पर बौर आ जाता है |
इस साल सं २०२४ में वसंत पंचमी का पर्व 14 फरवरी, बुधवार को मनाया जाएगा।

वसंत पंचमी का महत्व और महात्मय

1. वसंत ऋतु का आगमन: वसंत पंचमी से ही वसंत ऋतु के आरंभ होने की मान्यता हैं। ठिठुरती हुई सर्दी (शिशिर ऋतु) से राहत दिलाने के अलावा, वसंत ऋतु अपने साथ लाती है खुशनुमा मौसम जिसका सबको बेसब्री से इंतज़ार होता है। इस दिन से प्रकृति के एक नए जीवन-चक्र की शुरुआत होती है और सब तरफ प्राकृतिक सौंदर्य देखते ही बनता है।
2. सरस्वती पूजा: इस दिन विद्या-दायिनी, ज्ञान की देवी — माता सरस्वती की पूजा की जाती है। श्रद्धालु-गण शिक्षा, कला, वाणी, संगीत और साहित्य के क्षेत्र में उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए इस दिन विशेष पूजा करते हैं।
3. पुष्प वसंती: वसंत पंचमी का दिन फूलों की बहार और हरियाली से भरा होता है। पुष्प वर्षा से पर्यावरण में एक नये जीवन का संचार होता है।
4. रंग-बिरंगा उत्सव: लोग इस दिन विभिन्न रंगों के कपड़े पहनते हैं, जिससे चारों ओर वातावरण रंग-बिरंगा हो जाता है।
5. विद्यार्थी पूजा: बच्चों और विद्यार्थियों के लिए यह दिन और भी महत्वपूर्ण है। विद्यार्थियों द्वारा सरस्वती माता की कृपा प्राप्त करने के लिए पूजा एवं विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।

वसंत पंचमी तिथि

हिंदू पंचांग के अनुसार, पंचमी तिथि 13 फरवरी को दोपहर 02 बजकर 41 मिनट पर प्रारंभ हो रही है, जो 14 फरवरी 2024 को दोपहर 12 बजकर 09 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में वसंत पंचमी का पर्व 14 फरवरी 2024 को ही मनाया जाएगा।

कैसे हुई वसंत पंचमी को मनाने की शुरुआत ?

हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, ऐसा माना जाता है कि भगवान ब्रह्मा ने इसी दिन ब्रह्मांड का निर्माण किया था। सृष्टि की रचना करके जब उन्होंने दुनिया में देखा तो उन्हें चारों ओर सन्नाटा और एक अजीब सी उदासी छाई हुई दिखाई दी। वातावरण में विचलित कर देने वाली शांति थी, जैसे की किसी की वाणी ही ना हो। यह सब देखने के बाद ब्रह्मा जी संतुष्ट नहीं थे | ब्रह्मा जी ने भगवान विष्णु जी से अनुमति लेकर अपने कमंडल से पृथ्वी पर जल छिड़का। जल छिड़कने के बाद एक देवी प्रकट हुईं। देवी के हाथ में वीणा थी। भगवान ब्रह्मा ने देवी से कुछ ऐसा संगीत बजाने का अनुरोध किया ताकि पृथ्वी पर छाई हुई उदासी-भरी शांति भंग हो और वातवरण हर्षोल्लास से भर जाए। परिणामस्वरूप, देवी ने ऐसा संगीत बजाना शुरू किया कि पूरी पृथ्वी आनंदित हो गई। तभी से उस देवी को वाणी और ज्ञान की देवी, “देवी सरस्वती” के नाम से जाना जाने लगा। उन्हें वीणा-वादिनी के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि देवी सरस्वती ने ही पृथ्वी को बुद्धि, विद्या, शिक्षा, कला, वाणी, संगीत, साहित्य और तेज प्रदान किया।

माता सरस्वती के पूजन का महत्व

माता सरस्वती के प्रकटोत्सव पर वसंत पंचमी के दिन सरस्वती माता की विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है। देवी सरस्वती को विद्या एवं बुद्धि की देवी माना जाता है। वसंत पंचमी के दिन माता सरस्वती से बुद्धि, कला, संगीत और विद्या का वरदान माँगा जाता है। लोगों को इस दिन पीले रंग के कपड़े पहनने चाहिए और पीले फूलों से देवी सरस्वती की पूजा करनी चाहिए। पीला रंग ज्ञान का द्योतक है और वसंत ऋतु का भी प्रतीक है।

वसंत पंचमी की पूजा विधि

१) वसंत पंचमी के दिन सुबह स्नान आदि से निवृत होकर पीले या सफेद रंग के वस्त्र पहनें। उसके बाद सरस्वती पूजा का संकल्प लें।

२) पूजा स्थान पर देवी सरस्वती की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। देवी सरस्वती को गंगाजल से स्नान कराएं। एक दीपक जलाएँ और फिर माता सरस्वती को पीले वस्त्र पहनाएं।

३) इसके बाद पीले फूल, अक्षत, सफेद चंदन या पीले रंग की रोली, पीला गुलाल, धूप, दीप, गंध आदि अर्पित करें।

४) इस दिन देवी सरस्वती को गेंदे के फूल की माला पहनाएं। साथ ही पीले रंग की मिठाई का भोग लगाएं।

५) इसके बाद सरस्वती वंदना एवं मंत्र से देवी सरस्वती की पूजा करें।

६) आप चाहें तो पूजा के समय सरस्वती कवच का पाठ भी कर सकते हैं।

७) तदोपरांत हवन कुंड बनाकर, हवन सामग्री तैयार कर लें और ‘ओम श्री सरस्वत्यै नमः स्वाहा:” मंत्र की एक माला का जाप करते हुए हवन करें।

८) फिर अंत में खड़े होकर देवी सरस्वती की आरती करें।

घरों में बसंत महोत्सव

पूजा कक्ष को अच्छी तरह साफ़ किया जाता है, तथा सरस्वती देवी की प्रतिमा को पीले फूलों से सजे लकड़ी के मंडप पर रखा जाता है। मूर्ति को भी पीले पुष्पों से सजाया जाता है एवं पीले आभूषण पहनाये जाते हैं। पीला रंग हिन्दुओं का शुभ रंग है। इसी प्रतिमा के निकट गणेश का चित्र या प्रतिमा भी स्थापित की जाती है। परिवार के सभी सदस्य तथा पूजा में सम्मिलित होने वाले सभी व्यक्ति भी पीले वस्त्र धारण करते हैं। बच्चे एवं वयस्क देवी को प्रणाम करते हैं। बेरव संगरी प्रसाद की मुख्य वस्तुएँ हैं तथा इन्हीं के साथ पीली बर्फी या बेसन लड्डू भी रखे जाते हैं। प्रसाद की थाली में नारियल व पान के पत्ते भी रखे जाते हैं।

वसंतोत्सव और मनोरंजन

बच्चे व किशोर बसंत पंचमी का बड़ी उत्सुकता से इंतज़ार करते हैं। आखिर, उन्हें पतंग जो उड़ानी है। वे सभी घर की छतों या खुले स्थानों पर एकत्रित होते हैं और तब शुरू होती है, पतंगबाजी की जंग। कोशिश होती है, प्रतिस्पर्धी की डोर को काटने की। जब पतंग कटती है, तो उसे पकड़ने की होड़ मचती है। इस भागम-भाग में सारा माहौल हर्ष और उल्लास से भर जाता हैं।

मथुरा का मेला
माघ शुक्ल पंचमी को वसंत पंचमी के दिन मथुरा में दुर्वासा ऋषि के मन्दिर पर मेला लगता है। सभी मन्दिरों में उत्सव एवं भगवान के विशेष श्रृंगार होते हैं। वृन्दावन के श्री बांके बिहारीजी मन्दिर में वसंती कक्ष खुलता है

वसंतोत्सव पर प्रसाद और भोजन

वसंत पंचमी के दिन वाग्देवी सरस्वती माता को पीला भोग लगाया जाता है और घरों में भोजन भी पीला ही बनाया जाता है। इस दिन विशेषकर मीठा चावल बनाया जाता है। बादाम, किशमिश, काजू आदि डालकर खीर आदि विशेष व्यंजन बनाये जाते हैं। इसे दोपहर में परोसा जाता है। घर के सदस्यों व आगंतुकों में पीली बर्फी भी बांटी जाती है।

वसंत पंचमी पर मॉं लक्ष्मी पूजन का महत्व

पौराणिक कथा के अनुसार जब पांडव पुत्र युधिष्ठिर ने जुआ खेलकर अपना सब कुछ खो दिया था तब उन्होंने चिंतित होकर श्री कृष्ण से पूछा कि वे मां लक्ष्मी को कैसे प्रसन्न करें? श्री कृष्ण ने युधिष्ठिर को वसंत पंचमी के दिन व्रत रखने का सुझाव दिया। इस व्रत को करने से और इस दिन श्री लक्ष्मी का विधि-विधान से पूजन करने से युधिष्ठर का भाग्य बदल गया, और उन्हें ज्ञान के साथ-साथ ऐश्वर्य की भी प्राप्ति हुई। तब से ही वसंत पंचमी को श्री पंचमी भी कहा जाने लगा।

उत्सव ऐप के साथ महालक्ष्मी मंदिर में पूजा करें।

महालक्ष्मी मंदिर कोल्हापुर में वसंत पंचमी के उपलक्ष्य में उत्सव ऐप द्वारा विशेष पूजा का आयोजन किया जा रहा है। आप भी आसानी से इस पूजा में भाग ले सकते हैं। आज ही उत्सव ऐप पर पूजा बुक करें| नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें और घर बैठे माता लक्ष्मी, माता सरस्वती का आशीर्वाद प्राप्त करें। पंडितजी आपके नाम और गोत्र के साथ पूजा करेंगे और प्रसाद आपके घर तक पहुंचाएंगे। पूजा का वीडियो आपको व्हाट्सएप किया जाएगा। वसंत पंचमी पर माता सरस्वती और माता लक्ष्मी की परम कृपा पाने के लिए व ज्ञान के साथ-साथ ऐश्वर्य की भी प्राप्ति के लिए, पूजा बुकिंग सेवा का लाभ आज ही उठाएं। जय माता दी।
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